क्वांटम (Quantum) कम्प्यूटर्स क्यों है सुपर कंप्यूटर के भी बाप

 भविष्य के कम्प्यूटर्स (Future Computers) क्या आज की ही तरह होंगे या तकनीक इन्हें भी बदल देगी? कम्प्यूटर वैज्ञानिक (Computer Scientists) और क्वांटम फिजिक्स (Quantum Physics) के जानकार क्वांटम कम्प्यूटर (Quantum Computers) को इस सवाल का जवाब मानते हैं। लेकिन क्या है ये तकनीक और ये सामान्य Computers से कैसे अलग हैं? आाइए जानते हैं।

दुनिया बदलने वाली तकनीक
क्वांटम कम्प्यूटिंग दुनिया का नक्शा बदल सकती है। दवाओं और चिकित्सा के क्षेत्र से लेकर, संचार के तौैर-तरीकों औैा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) को पूरी तरह से बदलकर रख देगी। वर्तमान में आईबीएम (IBM), माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और गूगल (Google Inc.) जैसी बड़ी आर्ईटी कंपनियां इसे बनाने का प्रयास कर रही हैं। जबकि अमरीका (America) औेर चीन (China) ने इस तकनीक को सबसे पहले हासिल करने के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया हुआ है। बीते साल गूगल के वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि उन्होंने क्वांटम सुप्रीमेसी (Quantum Supremacy) तकनीक विकसित करने में सफलता हासिल कर ली है। करीब 35 सालों से इस तकनीक पर काम कर रहे गूगल ने तो यहां तक घोषणा कर दी थी कि उसने इस क्वांटम चिप की मदद से सामान्य कम्प्यूटर से होने वाले 10 हजार साल का काम 200 सेकंड्स में ही पूरा कर लिया था। हालांकि माइक्रोसॉफ्ट और आईबीएम ने गूगल के इस दावे को झूठा करार दिया था।

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क्या है क्वांटम कंप्यूटर
एक साधारण कंप्यूटर चिप बिट्स (Bits) का उपयोग करता है। ये छोटे स्विच की तरह होते हैं जिन्हें शून्य से दर्शाया जाता है। प्रत्येक ऐप जो हम उपयोग करते हैं, हर वो वेबसाइट जिसे हम खोलते हैं और हर फोटो जो हम कैमरे या मोबाइल से खींचते हैं वे सभी ऐसे ही लाखों-करोड़ों बिट्स औैर 1 व शून्य के संयोजन से बनती है। लेकिन यह तकनीक हमें आज तक यह नहीं बता पाई कि वास्तव में ब्रह्मांड किस तरह काम करता है। यहां तक कि मानव द्वारा बनाए गए सबसे बेहतरीन सुपर कंप्यूटर भी आज तक इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए। पिछली शताब्दी में भौतिकविज्ञानियों ने पता लगाया था कि अगर हम इतने छोंटे हो जाएं कि माइक्रोस्कोप से भी नज़र न आएं तब हमारे शरीर पर गुरुत्वाकर्षण औैर ब्रह्मांड बिल्कुल अलग तरह का प्रभाव डालता है। इन्हीं प्रभावों के बारे में क्वांटम तकनीक इस्तेमाल की जाती है। यह दरअसल हमारे फिजिक्स (Bace of Physics) की नींव है जो रसायन विज्ञान (Chemistry) से भी जुड़ी हुई है जिसका सीधा संबंध जीव विज्ञान (Biology) से है। इसलिए वैज्ञानिकों को फिजिक्स, केमिस्ट्रिी और बॉयोलॉॅजी की सटीक गणना के लिए ज्यादा बेहतर कम्प्यूटर तकनीक की जरुरत है जो तीनों में मौजूद किसी भी अनिश्चितता (Uncertainity) को संभाल सकती हो। ये काम क्वांटम कम्प्यूटर ही कर सकता है।

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कैसे काम करती है यह तकनीक
बिट्स के बजाय क्वांटम कंप्यूटर क्यूबिट्स (Qbits) का उपयोग करते हैं। यानी बिट्स की तरह ऑन या ऑफ होने की बजाय ये क्यूबिट्स उस स्थिति में भी हो सकते हैं जिसे 'सुपरपोजिशन' (Super Position) कहा जाता है, जहां वे एक ही समय में ऑन या ऑफ अथवा दोनों के बीच की स्थिति (Spectrum) में भी हो सकते हैं। क्यूबिट्स की सुपरपोजिशन ही क्वांटम तकनीक को इतना शक्तिशाली बनाती है। इसे ऐसे समझें कि अगर हम एक साधारण कम्प्यूटर को भूलभुलैया से बाहर निकलने का रास्ता बताने के लिए कहें तो वह हर संभव रास्ते को बारी-बारी से आजमाएगा जब तक कि सही रास्ता न मिल जाए जबकि एक क्वांटम कंप्यूटर एक ही बार में भूलभुलैया से बाहर निकलने वाले हर रास्ते को दिखा सकता है। यह दो संभावित सिरों के बीच मौजूद अनिश्चितता को पकड़ लेता है जो साधारण कम्प्यूटर्स के बस की बात नहीं है। भौतिक विज्ञानी अभी भी पूरी तरह से नहीं समझ पाए हैं कि यह कैसे या क्यों काम करता है। लेकिन क्वांटम कंप्यूटिंग की मदद से हम उन जटिल सवालों के जवाब भी पा सकते हैं जिन्हें हल करने में हमारे सुपर कम्प्यूटर्स को लाखों साल लगेंगे।

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क्या कर सकते हैं क्वांटम कम्प्यूटर्स
क्वांटम कंप्यूटर तेजी से या अधिक कुशलता (Lightning Speed and Accurecy) से काम करने तक सीमित नहीं है। इससे हम ऐसे काम भी कर सकेंगे जिनके बारे में हमने कभी कल्पना तक नहीं की है। इनकी मदद से हम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को तेजी से विकसित कर सकेंगे। गूगल पहले से ही सेल्फ ड्राइविंग कारों (Self Driving Cars) के सॉफ्टवेयर में सुधार करने के लिए उनका उपयोग कर रहा है। हमारे सुपर कंप्यूटर केवल बुनियादी अणुओं (Molecules) का ही विश्लेषण कर सकते हैं लेकिन क्वांटम कंप्यूटर उन्हीं बुनियादी अणुओं का उपयोग उन्हें समझने की कोशिश के दौरान ही कर सकता है। इसका मतलब है ज्यादा कुशल और आधुनिक उत्पाद, बेहतर चिकित्सा ततकनीक, सस्ती दवाएं और बड़े पैमाने पर बेहतर सौर पैनलों का निर्माण जो इलेक्ट्रिक कारों में बैटरी का नया विकल्प बन सकती हैं। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि क्वांटम तकनीक अल्जाइमर का कारगर इलाज खोजने में मदद कर सकती है। इसके अलावा शेयर बाजार और मौसम का सटीक पूर्वानुमान, वहीं क्रिप्टोग्राफी में सुधार कर एन्क्रिप्शन सिस्टम को सपुरफास्ट और सरल बनाना जैसे काम चुटकियों में कर सकता है। इतना ही नहीं दुनिया भर में खुफिया एजेंसियोंं के पास बड़ी मात्रा में एन्क्रिप्टेड डेटा को ट्रैक करने में भी इसका उपयोग किया जा सकेगा। क्वांटम एन्क्रिप्शन को कॉपी या हैक नहीं किया जा सकता है। वे पूरी तरह से सेंधमारी से मुक्त होंगे। यह भी पढ़े History of a Personal Computer- कंप्यूटर का इतिहास

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